आनंद की कसौटी

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Girl drawing smiley face on to a wall

आनंद एकमात्र कसौटी है जीवन की

जिस जीवन में आप बहे जा रहे हैं, अगर वहाँ आनंद उपलब्ध नहीं होता है, तो जानना चाहिये आप गलत बहे जा रहे हैं।

दुख गलत होने का प्रमाण है और आनंद ठीक होने का प्रमाण है, इसके अतिरिक्त कोई कसौटी नहीं!

न किसी शास्त्र में खोजने की जरूरत है, न किसी गुरु से पूछने की जरूरत है। कसने की जरूरत है कि मैं जहाँ बहा जा रहा हूँ, वहाँ मुझे आनंद बढ़ता जा रहा है, गहरा होता जा रहा है तो मैं ठीक जा रहा हूँ। और अगर दुख बढ़ता जा रहा है, पीड़ा बढ़ती जा रही है, चिंता बढ़ती जा रही है तो मैं गलत जा रहा हूँ। इसमें किसी को मान लेने का भी सवाल नहीं है। अपनी जिंदगी में खोज कर लेने का सवाल है कि हम रोज दुख की तरफ जाते हैं या रोज आनंद की तरफ जाते हैं। अगर आप अपने से पूछेंगे तो कठिनाई नहीं होगी।

निरंतर इस बात का परीक्षण कि किन दिशाओं में मेरा आनंद घनीभूत होता है किसी से पूछने की कोई भी जरूरत नहीं है। वह रोज-रोज की जिंदगी में, रोज-रोज कसौटी हमारे पास है। आनंद की कसौटी है!

जैसे पत्थर पर सोने को कसते हैं और जाँच लेते हैं, क्या सही है और गलत है। और सुनार फेंक देता है जो गलत है उसे एक तरफ, और जो सही है उसे तिजोरी में रख लेता है।

आनंद की कसौटी पर रोज-रोज कसते रहें, क्या है सही और क्या है गलत! जो गलत है, वह फिंक जायेगा; जो सही है, उसकी संपदा धीरे-धीरे इकट्ठी हो जायेगी।

ओशो

साधना पथ: 22