मुल्ला नसरुद्दीन पूछता है अपने मनसविद से कि मैं सो नहीं पाता, कोई उपाय मुझे बतायें। सब विचार करके उसके मनसविद ने कहा कि तुम्हें थोड़ी विश्राम की कला सीखनी होगी। तो रात आज तुम स्नान करके आराम से बिस्तर पर लेट जाना और फिर अपने शरीर से थोड़ी बात करना, और शरीर को थोड़ी आज्ञा देना। अंगूठे से शुरू करना; कहना, पैर के अंगूठे सो जाओ—टोज, नाउ गो टु स्लीप। और तब अनुभव करना। फिर कहना—पंजे सो जाओ, फिर पैर सो जाओ। ऐसे ऊपर बढ़ते जाना और आखिर में सिर तक आना। और फिर अंत में आंखों के लिए कहना—”नाउ आइज गो टु स्लीप।’ और आंखों तक आते-आते तुम सो ही चुके होगे।
नसरुद्दीन भागा हुआ घर आया। कई दिन से सो नहीं पाया था। रात की राह देखी, स्नान किया, बिस्तर ठीक से तैयार किया, फिर लेट गया अपने बिस्तर पर। पत्नी स्नान करने बाथरूम में चली गयी। वह लेट गया अपने बिस्तर पर और उसने शुरू किया, जैसा मनसविद ने कहा था। पैर से शुरू किया कि—नाउ टोज गो टु स्लीप; नाउ फीट गो टु स्लीप, नाउ माइ लेग्स गो टु स्लीप; माइ हिप्स और ऐसे-ऐसे वह बढ़ता गया ऊपर। वह बस करीब-करीब आ ही रहा था, जब वह कहनेवाला था कि मेरा सिर, माइ हेड, गो टु स्लीप, पत्नी नहाकर बाथरूम से बाहर निकली। उसे देखकर ही उसने जोर से अपने हाथ अपने शरीर पर मारे और कहा, “एवरीबडी अवेक इमीजियेटली—एवरीबडी अवेक—सब जाग जाओ।’
महावीर वाणी, भाग-२
ओशो