जिन्दगी एक रहस्य है

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वह जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज का तृतीय वर्ष का छात्र था। मेरे अनुज श्री रजवन्त भाई का साथी था। छात्रावास में रह रहा था। रविवार का दिन था। आराम से नाखून काट रहा था। एक नाखून जरा सा जिन्दा कट गया, कुछ देर बाद उसने गर्दन में कड़ापन अनुभव किया। तुरन्त विक्टोरिया अस्पताल फोन किया गया, एम्बुलेन्स आई किन्तु अस्पताल पहुंचते-पहुंचते गर्दन लटक गई और वह बचाया न जा सका।

मौत आती है तो किसी भी बहाने आ जाती है, छोटी से छोटी चीज मौत का कारण बन जाती है।
आखिर मेरे एक बाबा श्री बलदेव बख्श सिंह भले चंगे ही तो थे। शाम का भोजन ले रहे थे, एक चावल गलत नली में चला गया। उन्हें तुरन्त कस्बे के सरकारी अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर ने जिला अस्पताल प्रतापगढ़ ले जाने की सलाह दी। उन्हें प्रतापगढ़ ले जाने की तैयारी ही कर रहे थे कि वह विदा हो गए।

जबलपुर का प्रभात तिवारी तो बहुत तगड़ा व मजबूत था। पूरा पहलवान था। उसके पेट में तकलीफ हुई, ट्यूमर था। वह मध्य रेलवे के मुख्यालय हॉस्पिटल मुम्बई में भर्ती था। सुना है कि उसे सोलह-सोलह हजार के तीन इंजेक्शन दिए गए, पर वह भी उसे बचा न पाए।

इतने सब वैज्ञानिक विकास के बावजूद जिन्दगी एक रहस्य है, मैं समझता हूं यह सदा रहस्य रहेगी।