बच्चा पेड़ चढ़ने की कोशिश कर रहा है; तुम क्या करोगे? तुम तत्काल डर जाओगे – हो सकता है कि वह गिर जाए, हो सकता है वह अपना पैर तोड़ ले, या कुछ गलत हो जाए। और तुम्हारे भय से तुम भागते हो और बच्चे को रोक लेते हो। यदि तुमने जाना होता कि पेड़ पर चढ़ने में कितना आनंद आता है, तुमने बच्चे की मदद की होती ताकि बच्चा पेड़ पर चढ़ना सीख जाता! और यदि तुम डरते हो, उसकी मदद करो, जाओ और उसे सिखाओ। तुम भी उसके साथ चढ़ो! उसकी मदद करो ताकि वह गिरे नहीं। तुम्हारा डर ठीक है – यह तुम्हारे प्रेम को दर्शाता है कि हो सकता है कि बच्चा गिर जाए, लेकिन बच्चे को पेड़ पर चढ़ने से रोकना बच्चे को विकसित होने से रोकना है। पेड़ों पर चढ़ने में कुछ खास है। यदि बच्चे ने यह कभी नहीं किया है, वह किन्हीं अर्थों में गरीब रह जाएगा, वह अपने सारे जीवन के लिए कुछ समृद्धि से चूक जाएगा। तुम उसे कुछ बहुत सुंदर बात से वंचित कर रहे हो, और उसे जानने का कोई अन्य मार्ग नहीं है! इससे वंचित रह जाने से तो कभी-कभार, पेड़ पर से गिर जाना बहुत बुरा भी नहीं है।
या, बच्चा बाहर बरसात में जाना चाहता है और बरसात में गली में चारों तरफ दौड़ना चाहता है, और तुम डरते हो कि कहीं उसे सर्दी न लग जाए या निमोनिया ना हो जाए या और कुछ – और तुम्हारा भय उचित है! इसलिए ऐसा और कुछ करो कि वह सर्दी के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो जाए। उसे डाक्टर के पास ले जाओ; डाक्टर को पूछो कि उसे कौन से विटामिन्स दिए जाएं ताकि वह बरसात में दौड़ सके और आनंद ले सके, नाच सके और वहां सर्दी होने का कोई भय ना रहे या निमोनिया नहीं होगा। लेकिन उसे रोको मत। जब बरसात हो रही हो तब गली में दौड़ना इतना आनंद देता है! इससे चूकना किसी बहुत ही मूल्यवान बात से चूकना है।
यदि तुम प्रसन्नता जानते हो और यदि तुम सचेत हो, तुम यह महसूस कर सकोगे कि बच्चा क्या महसूस कर रहा है।