बच्चों को अन्तर्मुखी कैसे बनाया जाएं?
जो मां-बाप चौबीस घंटे में घंटे दो घंटे को भी मौन होकर नहीं बैठते, उनके बच्चों के जीवन में मौन नहीं हो सकता। जो मां-बाप घंटे दो घंटे को घर में प्रार्थना में लीन नहीं हो जाते हैं, ध्यान में नहीं चले जाते हैं, उनके बच्चे कैसे अंतर्मुखी हो सकेंगे? बच्चे देखते है मां-बाप को कलह करते हुए, द्वंद्व करते हुए, संघर्ष करते हुए, लड़ते हुए, दुर्वचन बोलते हुए बच्चे देखते हैं, मां-बाप के बीच कोई गहरा प्रेम संबंध नहीं देखते, कोई शांति नहीं देखते, कोई आनंद नहीं देखते; उदासी,ऊब, घबड़ाहट, परेशानी देखते हैं। ठीक इसी तरह की जीवन दिशा उनकी हो जाती है।
बच्चों को बदलना हो तो खुद को बदलना जरुरी है। अगर बच्चों से प्रेम हो तो खुद को बदल लेना एकदम जरुरी है। जब तक आपके कोई बच्चा नहीं था, तब आपकी कोई जिम्मेवारी नहीं थी। बच्चा होने के बाद एक अदभुत जिम्मेवारी आपके ऊपर आ गई। एक पूरा जीवन बनेगा या बिगड़ेगा। और वह आप पर निर्भर हो गया। अब आप जो भी करेंगी उसका परिणाम उस बच्चे पर होगा।
अगर वह बच्चा बिगड़ा, अगर वह गलत दिशाओं में गया, अगर दुःख और पीड़ा में गया, तो पाप किसके ऊपर होगा? बच्चे को पैदा करना आसान, लेकिन ठीक अर्थो में मां बनना बहुत कठिन है। बच्चे को पैदा करना तो बहुत आसान है पशु-पक्षी भी करते हैं, मनुष्य भी करतें है, भीड़ बढ़ती जाती है दुनिया में। लेकिन इस भीड़ से कोई हल नहीं है। मां होना बहुत कठिन है ।
अगर दुनिया में कुछ स्त्रियां भी मां हो सकें तो सारी दुनिया दूसरी हो सकती है। मां होने का अर्थ है ; इस बात का उतरदायित्व कि जिस जीवन को मैंने जन्म दिया है, अब उस जीवन को उंचे से उंचे स्तरों तक, परमात्मा तक पहुंचाने की दिशा पर ले जाना मेरा कर्तव्य है। और इस कर्तव्य की छाया में मुझे खुद को बदलना होगा। क्योकिं जो व्यक्ति भी दुसरे को बदलना चाहता हो उसे अपने को बदले बिना कोई रास्ता नहीं है।
ओशो
नारी और क्रांति