मुल्ला नसरुद्दीन का बेटा, फजलू -उसने सेब का वृक्ष काट डाला।
नसरुद्दीन ने उसकी खूब पिटाई की। पिटाई करने के पहले पूछा कि तूने सेब का वृक्ष काटा? तूने ही काटा?
उसने कहा, हां, मैंने ही काटा।
नसरुद्दीन ने कहा, मैंने तुझसे कितनी बार नहीं कहा था कि इस वृक्ष को काटना मत। तू यह कुल्हाड़ी लिए बगीचे में क्यों घूमता है? ये बगीचे को बर्बाद करना है? यह वृक्ष मैंने मुशिकल से लगाया था, बामुशिकल बड़ा हुआ था। इस भूमि में, इस तापमान में, इस आबोहवा में सेब लगते नहीं, इसमें सेब लगने शुरू हो गए थे। मना किया, फिर भी तूने काटा! और ऊपर से तू यह भी जुर्रत कर रहा है कि इनकार भी नहीं करता, कहता है कि हां काटा।
तो बेटे ने कहा, आपने ही मुझे कहानी सुनाई थी कि अमरीका के प्रथम राष्ट्रपति वाशिंगटन ने सेब का वृक्ष काट दिया था। और जब उसके बाप ने पूछा तो वाशिंगटन ने कहा, हां, वृक्ष मैंने ही काटा है। बाप ने मारा तो नहीं, वरन पुरस्कार दिया, क्योंकि बेटा सत्य बोला। मैं तो उसी आधार पर चल रहा हूं। उलटे मुझे पिटाई पड़ रही है!
बाप ने कहा, वह कहानी मुझे मालूम है, मैंने ही तुझे सुनाई। मगर तू यह भी ख्याल रख कि जब वाशिंगटन ने सेब का वृक्ष काटा था, तो उसका बाप वृक्ष पर नहीं बैठा था। हरामजादे, मैं वृक्ष के ऊपर बैठा हुआ था। यह भी कोई वक्त था काटने का!