स्वयं के प्रति सच्चे और ईमानदार रहो

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“गौतम बुद्ध अतीत के सब गुरुओं का प्रतिरूप हैं। शिष्य को दूर रखना होगा। उसे अनुशासन, समादर और आज्ञापालन सीखना होगा। यह एक प्रकार से आध्यात्मिक ग़ुलामी हुई। मैं नहीं चाहता कि तुम मेरे गुलाम बनो और मैं नहीं चाह्ता कि तुम मेरा आज्ञापालन करो। मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि तुम मुझे समझो और यदि मेरा अनुभव प्रमाणिक है और तुम्हारा विवेक उसे समझ पाता है तो तुम स्वयं ही उसका अनुसरण करोगे। यह आज्ञापालन न हुआ, मैं तुम्हें कुछ करने को नहीं कह रहा, मैं सिर्फ तुम्हें समझने के लिये कह रहा हूं, और फिर तुम्हारा विवेक जहां तुम्हें ले जाये, तुम उसका अनुसरण करो। तुम जो भी बनो, मैं प्रसन्न हूं, बस स्वयं के साथ सच्चे और ईमानदार रहो।”

“शायद मुझे अब तक सबसे अधिक गलत समझा गया है, लेकिन इसका मुझपर कोई असर नहीं। कारण केवल इतना है कि सही समझे जाने की कोई जिज्ञासा नहीं। यदि वे सही नहीं समझते तो यह उनकी समस्या है, यह मेरी समस्या नहीं है। यदि वे गलत समझते हैं तो यह उनकी समस्या है, उनका दुख है। मैं अपनी नींद नहीं खराब करूंगा यदि लाखों लोग मुझे गलत समझ रहे हैं।”

“मेरा पूरा प्रयास एक नयी शुरुआत करने का है। इस से विश्व- भर में मेरी आलोचना निश्चित है। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।”