जीवन जीने की कला

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जीवन को एक कला समझो । और कला की कुंजी यही है :
रातो को दिन बनाओ, अंधेरो मे दीये जलाओ, शोरगुल मे भी संगीत खोजो ।
और तब तुम मिट्टी भी छुओगे, तो सोना हो जायेगी ।
और जहर तुम्हारे पास जैसे- जैसे आयेगा, वैसे- वैसे अमृत होने लगेगा ।
तुम्हारे भीतर पहुचते- पहुचते अमृत हो जायेगा ।

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जीवन तो जायेगा इसलिए जी लो
अगर ना भी जियोगे तो भी मौत तो आएगी ही!