Tag: हृदय
प्रेम और ज्ञान
प्रेम के अतिरिक्त कोई श्रवण नहीं है।
तो यारी पहले बननी चाहिए। प्रेम पहले बनना चाहिए, तब ज्ञान। प्रेम के पीछे आता है...
प्रेम और मृत्यु
जिसके सामने मृत्यु समर्पण करती है !!
प्रेम एकमात्र तत्व है, जिससे मृत्यु हारती है; जिसके सामने मृत्यु समर्पण करती है। इसे समझना। इसीलिये जिसका हृदय प्रेम से...
दुविधा की स्थिति
जब भी तुम दुविधा में हो -- हृदय किसी चीज के लिये पूरी तरह से 'हाँ' कहता हो, और बुद्धि की व्यवहारिक दृष्टि 'ना'...
रांका और बांका की कहानी
मैंने सुना है,
महाराष्ट्र की एक प्राचीन कथा है।
रांका और बांका पति—पत्नी थे। रांका पति था, बांका उसकी पत्नी का नाम था। थी भी वह...
तार्किक समानता
मैं बिलकुल पत्थर हूं और फिर भी प्रार्थना में डूबना चाहता हूं, पर जानता नहीं कि प्रार्थना क्या है। कैसे करूं प्रार्थना? मुझ अंधे...