अनोखे मुल्ला नसरुद्दीन

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सुना है मैंने, एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन गया शराबघर में। एक गिलास शराब उसने बुलाई, लोग चकित हुए देखकर कि वह क्या कर रहा है। थोड़ी-सी शराब उसने अपने कोट के खीसे में डाल ली और बाकी पी गया। फिर दूसरा गिलास….तब लोग और चौंककर देखने लगे कि वह क्या कर रहा है। फिर उसने थोड़ी-सी शराब खीसे में डाली गिलास से और बाकी पी गया।

ऐसे पांच गिलास, और हर बार!

सभी उत्सुक हो गये कि वह कर क्या रहा है? पांच गिलास पी जाने के बाद उसकी रीढ़ सीधी हो गई और अकड़कर खड़े होकर उसने कहा, “नाऊ आई कैन डिफीट एनी बडी इन दिस प्लेस–अब किसी को भी मैं चारों खाने चित्त कर सकता हूं, कोई है?’

दुबला-पतला नसरुद्दीन, किसी को भी चित वहां कर नहीं सकता। लेकिन बेहोशी अहंकार को मजबूत कर देती है। और तभी चमत्कार की घटना घटी कि उसके खीसे से एक चूहा बाहर निकला, और उसने कहा, “दि सेम गोज फार एनी राटन कैट टू–कोई भी सड़ी बिल्ली हो, उसके लिए भी यही चुनौती है।’

आदमी ही नहीं, चूहा भी, होश में हो तो बिल्ली से डरता है। अपनी अवस्था जानता है। बेहोश हो जाये, तो बिल्ली को भी चुनौती देता है।

महावीर वाणी, भाग-२, प्रवचन#३९

ओशो

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