नर्क और स्वर्ग चित्त की अवस्थाएं हैं।
अगर तुमने प्रेम किया तो तुम स्वर्ग में हो, अगर तुमने घृणा की तो तुम नर्क में हो। अगर तुमने करुणा की तो तुम स्वर्ग में हो, अगर तुमने क्रोध किया तो तुम नर्क में हो। तुम किस नर्क की कल्पना कर रहे हो जहा आग जलेगी! क्रोध में रोज जलती है। यह तो प्रतीक है। और जब तुम किसी को प्रेम से कुछ देते हो, भेंट करते हो, तब तुम स्वर्ग में हो जाते हो। तब स्वर्ग की शीतल हवा बहती है। तब स्वर्ग की पावन सुगंध तुम्हारे पास होती है। दो और देखो। किसी को सताओ और नर्क! किसी को बचाओ और स्वर्ग।
तुमने बचाने का सुख नहीं जाना? कोई नदी में डूब रहा हो और तुम जाकर बचा लेते हो। एक आह्लाद भर जाता है। तुम्हारे जीवन में कृतार्थता होता है या तुम एक गीत रचो जो भी है। तुमसे भी कुछ ऐसा हुआ। एक कृता का भाव। इस गीत को गुनगुनाएगा, खुशी से भरेगा, इस कल्पना से ही तुम्हारे भीतर बड़ा आनंद होता है—इसलिए स्रष्टा आनंदित रहते हैं। कोई चित्र बनाता है, कोई मूर्ति बनाता है कोई गीत रचता है, कोई संगीत छेड़ता है।